अजब हाल में हूं. दो साल पहले तक रूमी बाबा में ऐसा डूबा था कि दुनिया में कुछ और दिखाई ही न देता था. दो साल पहले जब पुस्तक ‘जहान-ए-रूमी’ प्रकाशित हो गई तो धीरे-धीरे फिर से अपने पुराने हाल में लौट आया.
वही इस ख़्वार दुनिया में अपने हिस्से की ख़्वारी को जिस्म पर ओड़ लेने वाली आदतें. वही ज़माने की होड़ और दौड़ में शिरकत. वही उजालों की तलब. वही ख़ुद को ख़ुद से बड़ा देखने वाला नज़रिया. सब कुछ वही.
मैं बार-बार इस सब से भागता हूं. बार-बार कोई चीज़ मुझे ठीक वहीं लाकर खड़ा कर देती है. शुक्र है, ऐसे में मेरे अलालपन ने मेरा साथ कभी नहीं छोड़ा. वरना इतने सारे प्रलोभन मुझे दौड़ा-दौड़ा कर कामयाब लोगों के उस निज़ाम का हिस्सा बना लेते जिस निज़ाम को बदलने की नीयत से किसी उम्र में घर से बाहर निकला था.
अभी सोते-सोते जागा हूं. अब सोना नहीं खोना चाहता हूं. खोना चाहता हूं उन सब चीज़ों को जो मेरी नहीं हैं.
रूमी बाबा की तरफ लौट चलता हूं. वहां से सब कुछ साफ-साफ दिखाई देता है.
कोई मुझे पुकारा किया
औरों ने भी जो किया किया
ख़ुद को न तब जाना किया
न ख़ुद ने बताया ख़ुद को
अच्छा किया? बुरा किया?
न तो आंख को सूझा किया
न तो दिल को कुछ समझा किया
निकल पड़ा, बस को बाहर
जिस दम को ही सुना मैने
कोई मुझे पुकारा किया
(पुस्तक ‘जहान-ए-रूमी’ से)
किताब के प्रकाशन की बहुत बधाई। किसी ख़्वाब को आंख से निकालकर ज़मीं पर उतारना आसान नहीं होता। आपने इसे पूरा किया, आप मुबारकबाद के हक़दार हैं।
ReplyDeleteसुस्वागतम्। आपकी उपस्थिति से चिट्ठाजगत का स्वाद कुछ बदलेगा। भूली बिसरी बातों का समा बंधेंगा।
ReplyDeleteप्रमोद ताम्बट
भोपाल
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Keswani ji,ek sanyogvash aapse takra gaya blog par.
ReplyDeleteIt is good to see you on blogs.Welcome,
yours ,
dr.bhoopendra
rewa mp
अंदर की ओर का मार्ग हीं उभयनिष्ठ मार्ग है ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर । चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है.......भविष्य के लिये ढेर सारी शुभकामनायें.
गुलमोहर का फूल
ati manbhavan,jandar,shandar,damdar.narayan narayan
ReplyDeleteRajkumar G Aapko Rasrang me Pda tha....Aaj is duniya me dekha to khushi hui...Badhai...Lge rho....
ReplyDeleteBahut Barhia...aapka swagat hai... isi tarah likhte rahiye...
ReplyDeletePlease Visit:-
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ReplyDeletehttp://sanjaybhaskar.blogspot.com
Mr Keswani,
ReplyDeleteIt is a pleasure to learn that you are depicting your presence all round not only in Articles but in publishing Books of rare subject. I would like to have a copy of this Book . I will search out here if could be available.
R.P.Asthana
Gwalior
किताब के प्रकाशन की बहुत बधाई
ReplyDeleteस्वागत है आपका
शुभकामनायें.
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क्रियेटिव मंच
आपकी किताब पढ़ी, पढ़कर कितना मजा आया, बता नही सकता..इतना सुंदर और डूब कर किया हुआ अनुवाद है की पढ़ते हुए मन रूमी की दुनिया और कविता में खो सा जाता है...किताब के लिए ढेर सारी बधाई.
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