Wednesday, October 7, 2009

एक सुबह कोहरे की








भोपाल में बुधवार की सुबह अदभुत कोहरा छाया था। कोई ५.३० बजे जब वाक पर निकला तो दूर-दूर तक सिवा कोहरे के कुछ दिखाई न देता था। अबा ऐसे में सिवाय रूमानी होने के और किया भी क्या जा सकता था। सो बस निकल पड़ा अपना कैमरा लेकर और अगले डेढ़ घंटे तक जो कुछ करता रहा बसा उसी के कुछ नतीजे ये रहे।

2 comments:

  1. अरे ये तो अपनी जानी पहचानी जगहे हैं । कई साल पहले भोपाल मे इस तरह का कोहरा अक्सर देखता था जिन दिनो रीजनल कोलेज मे पढ़ता था । आपने उन दिनो की याद दिला दी । धन्यवाद । सुबह की सैर लाभदायक रही ना !!-शरद कोकास ,दुर्ग,छ.ग.

    ReplyDelete
  2. वाक पर जाने को टहलना बोलते तो सही समझ पड़ता।

    ReplyDelete