Thursday, October 1, 2009

कोई मरने से मर नहीं जाता


सोचते हो कि ये नहीं होगा ?

आसमां एक दिन ज़मीं होगा !

कोई मरने से मर नहीं जाता

देखना वो यहीं कहीं होगा


न जाने कबसे इस अनूठी शायरी का दीवाना बना बैठा हूं. यह इजलाल मजीद की शायरी है. एक ऐसा शायर जो अपने बारे में चाहे जितना कम बोले मगर उसकी शायरी इस शख्स के मायार के बारे में बहुत कुछ बता जाती है. यह बात और है कि वो अपनी शायरी को भी अपनी तरह खूब छुपा कर रखते हैं.


साल भर में ईद और उनके जन्म दिन (23 अगस्त) जैसे बस कुल जमा 2-3 मौके ही आते हैं जब उनके घर पर गिनती के कुछ दोस्तों का जमावड़ा होता है. इन मौकों पर ही उनसे उनकी डायरी निकलवाई जाती है और कुछ ग़ज़ल, कुछ नज़्म का दौर चलता है. इसके अलावा तो वे छपने से बचते ही रहते हैं.


इजलाल भाई उम्र में मुझसे काफी बड़े हैं. मैं भोपाल के जिस कालेज, सेफिया कालेज, में दो-एक साल पढ़ा हूं, वहां इजलाल मजीद इतिहास पढ़ाते थे. असल में लखनऊ के रहने वाले इजलाल, भोपाल में आकर ऐसे रमे कि भोपाल के ही होकर रह गए.


उस दौर में उनका खासा लम्बा कद, गोरा बल्कि सुर्ख रंगत वाला पुरकशिश चेहरा देखकर अक्सर लोग कहते थे भोपाल ग़लत आ गए. बम्बई जाना चाहिये था. फिल्मों में. उन्होने कभी इसका जवाब नहीं दिया. मगर उनकी शायरी का जवाब है क्या इस गहराई का इंसान ऐसी कोई तमन्ना भी पाल सकता है?.


दरिया चढ़ा तो पानी नशेबों में भर गया

अब के भी बारिशों में हमारा ही घर गया


***


अपने हाथ कहां तक जाते, भाग दौड़ बस यूं ही थी

उनके बांस बहुत थे लम्बे, जो कनकैया लूट गए

बाहर धूप थी शिदत की, और हवा भी थी अन्दर बेचैन

गुबारे वाले के आखिर को, सब गुबारे फूट गए


***


कहां आंसू भरी आंखों ने देखा

तमाशा देखने वालों ने देखा

कि एक आवाज़ पत्थर हो गई है

पलटकर देखने वालों ने देखा

4 comments:

  1. कहां आंसू भरी आंखों ने देखा

    तमाशा देखने वालों ने देखा

    कि एक आवाज़ पत्थर हो गई है

    पलटकर देखने वालों ने देखा

    वाह! हो सके तो और पढ़वायें…आभार

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  2. इजलाल भाई के हम भी दीवाने हैं. आपने सच ही लिखा है.

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  3. कहां आंसू भरी आंखों ने देखा
    तमाशा देखने वालों ने देखा
    कि एक आवाज़ पत्थर हो गई है
    पलटकर देखने वालों ने देखा
    बहुत खूब ...
    इजलाल मजीद की शायरी प्रस्तुत करने के लिए बहुत आभार ..!!

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  4. Janab Kya baat hai Wah
    Kankyya loot gaye.Ik khayal janam le reha hai
    Zameen par reh payare havaoon main na ur
    Maine kati patangoon ko hazar baar dekha hai
    Majeed sb par please aur lekhye
    Shaffkat

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