Sunday, October 4, 2009

इश्क करे ऊ जिसकी जेब में माल बारे बलमूं

60-70 के दशक की भोजपुरी फिल्मों में बहुत ही खूबसूरत गीत-संगीत रचा गया है. संगीतकार चित्रगुप्त की इसमें बड़ी महती भूमिका है. ‘गंगा मैया तोहे पियरी चढ़इबो’ (1962), ‘लागी नाहीं छूटे राम’ (1963), ‘बिदेसिया’ (1963), ‘कब होइहैं गवनवा हमार’(1964), ‘भौजी’ (1965) जैसी कई फिल्मों के गीत उस दौर में काफी तूफान किये रहे. आज भी इन गीतों को सुनने पर बहुत आनंद मिलता है.

फिल्म ‘बिदेसिया’ का एक बड़ा अदभुत गीत है – ‘इश्क़ करे ऊ जिसके जेब में माल बारे बलमूं’. राममूर्ति चतुर्वेदी जी के लिखे इस गीत को संगीतकार की एस.एन.त्रिपाठी के लिये भरपूर मस्ती में गाया है मन्ना दा और महेन्द्र कपूर ने. अब तक इस गीत को डिजिटाईज़ किया नहीं है सो उसे सुना तो नहीं सकता, बस मैं सुनाए भर देता हूं.


इश्क करे ऊ जिसकी जेब में माल बारे बलमूं
कदर गंवावै जो कड़का कंगाल बारे बलमूं
अरे इश्क करे ऊ जो दिल कै दिलदार बारे बलमूं
एजी राज़े इश्क क्या समुझै चुगुल गंवार बारे बलमूं

ज़र के बिना इश्क टें टें है, ज़र होवे तो जिगर बढ़ै
ज़र के बिना न रीझे गोरिया आशिक होय बेमौत मरै

ज़र तो चलता फिरता राही, आज रहै कल जावै रे
दिलवाला बारहों महीना हंसके फाग मनावै रे
दिलवालै के जगत करे इतबार बारे बलमूं
एजी राज़े इश्क क्या समझै....

बुरे बंदगी करते डर से , अच्छे गले लगावैं रे
दिलवाले हर दिल अज़ीज़ बन दुख-सुख में मुस्कावैं रे

भाए बंद औ बाप मतारी कोई भी न साथ करै
गांठ अगर पैसा न होवै जोरू भी न बात करै
पैसे पर इस जग के सारे कमाल बारे बलमूं
एजी कदर गवांवै ...

8 comments:

  1. दील खुश हो गेल बा !!बहुते शुक्रिया भाई जी

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  2. केसवानी जी नमस्कार ! रसरंग की आपस की बात का मैं भी बहुत बड़ा पाठक हूँ . आज आपको इन्टरनेट पे पाकर धन्य हो गया हो हूँ . इस ब्लॉग की बात को आपने आपस की बातमें नही बताया ? खैर अब अपनी आपस की बात नेट पर भी होती रहेगी . जय जय

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  3. pahle to saptaah me ek hi din deedar ho pate the. ab is blog ke madhyam se milte rahenge naa.

    aise ruchikar lekho ke liye anek anek dhanywad.

    Jay Jay.

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  4. gaane ke liye dhanyabbad

    http://bhojpuriallsongdownload.blogspot.com/

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