आगरा घराने के उस्ताद गायक विलायत हुस्सैन खान ने अपने संस्मरण में एक बहुत मज़ेदार किस्सा बयान किया है. बात सुनने में मज़े की लगती है लेकिन है असल में बड़ी कमाल की . खैर, वह बात बाद को, पहले किस्सा.
किस्सा यूं है बादशाह अमीर तैमूर लंग ने दिल्ली फतेह कर जश्न मनाने का हुक्म दिया. इसमें, ज़ाहिर है कि गीत-संगीत के लिए गवैयों को भी बुलाया गया. खुदा जाने क्या वजह रही हो लेकिन कोई ऐसा उस्ताद गवैया नहीं आया. दरबारियों ने जी तोड़ तलाश के बाद एक अन्धे गायक को ढूंढ ही निकाला.
यह अन्धा गायक काफी सोज़ भरी आवाज़ में गाता था. तैमूर के सामने गाकर उसने उसका दिल खुश कर दिया. बादशाह ने गवैये से उसका नाम पूछा. गवैये ने जवाब दिया : ‘दौलत खां’.
तैमूर को इस बात पर हंसी आ गई. वह खिल्ली उड़ाने वाले अंदाज़ में बोला : ‘क्या दौलत भी अंधी होती है?’
दौलत खां ने बिना विचलित हुए जवाब दिया : ‘अगर अंधी न होती तो लंगड़े के घर क्यों आती’.
पहले मैं सोच रहा था कि आखिर में अपनी बात कहूंगा, अब सोचता हूं इस पर पहले आप कुछ कहें. मैं आपके पीछे-पीछे अपनी बात भी रख दूंगा.
सुन्दर/मजेदार बतकही। अब आगे की बात भी आपै रखिये।
ReplyDelete.हमने तो ये किस्सा सुन पढ़ रखा है ...पर देखे आप कौन सा सीक्रेट निकालते है...कह दीजिये..
ReplyDeleteकेशवानी जी !
ReplyDeleteतैमूर लंग और दौलत खां अंधे गवैये का किस्सा रोचक है ।
इतिहास में तैमूर लंग का नाम खूंखार और मानव जाति के इतिहास में कलंक के रूप में लिया जाता है । अंधे गवैये के पास तो गायकी की दौलत थी, लेकिन तैमूर लंग तो इतना भिखारी था कि सारे संसार की दौलत अपनी झोली में भर लेता तो भी उसकी महत्वाकांक्षा नहीं मिटती ।
दौलत का संबंध न अंधे से है न लंगड़े से
बल्कि भिखारी महत्वाकांक्षी चित्त से है ।
ठीक बात कही...
ReplyDelete" behad khubsurat "
ReplyDelete---- eksacchai { aawaz }
http://eksacchai.blogspot.com
ek kissa aur hai-andhe aur langde ka.door ke ek bazar tak pahuchne ke liye dono ne tarkib dund nikali. andhe ke kandhe par langda sawar ho gaya. langde ne rah batai aur andha bazar tak jaa pahucha.
ReplyDeletedautat bhi hamesha bazar jana chahti hai aur use talash hoti hai langdo ki. pair wale uske liye bhala kis kam ke? gairat walon ko daulat ki parwah nahi hoti.bazar unka lakshya nahi hota, isi liye andhi daulat unka daman nahi thamti.
-kewal krishna
raipur
kewalraipur@yahoo.com
राजकुमार जी, सुन्दर कहानी. असल में अंधे ने तैमूर लंग की खिल्ली का जवाब तैमूर की खिल्ली उडाते हुए दिया होगा क्योंकि लूट की अकूत दौलत का स्वामी तैमूर खुद लंगडा था.
ReplyDeleteइसका अर्थ यह कि वह सिर्फ एक गवैया नहीं था अपने समय का एक बुद्धिजीवी भी था । मुझे नहीं पता तैमूर लंग ने उसका क्या हश्र किया होगा क्योंकि सुना है कि वह अपने को लंगड़ा कहलाना पसन्द नहीं करता था । इस किस्से के अनेक अर्थ है । धन्यवाद ।
ReplyDeleteजनाब बड़ॆ पते की बात कह गये आप दौलत यकीनन लगड़ों के पास ही आती है अब सवाल यह है कि वह किस तरह से लगड़े है ? अब आप बताये?
ReplyDeleteकिस्सा तो आपने बहुत बढिया सुनाया...लेकिन इसका अन्त भी आप ही से जानना चाहेंगें ।
ReplyDeleteरोचक ...जानकारी से भरपूर और व्यंग्य भी...क्या बात है...एक क्लिक में तीन रस...अद्भुत...आभार.
ReplyDeletenice
ReplyDeleteaisi bat nahin hy taymur lang shyad krur nahin thaa MOHD SHOEB KHAN
ReplyDeletesoche to bahut gahri baat hai bhai
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