Friday, August 21, 2009

सीटी,शीशा और मैं

सीटी,शीशा और मैं

यह ज़िन्दगी बड़े मज़े की चीज़ है. कई बार बड़े और मुश्किल काम इतनी आसानी से हो जाते हैं कि उनके हो जाने के बाद हंसी आती है कि इस बात को कितना मुश्किल मान रहे थे. और कभी-कभी ऐसा होता है कि कोई छोटा सा, मामूली सा लगता काम जिसे आपकी नज़रों के सामने एक बच्चा भी कर जाता है पर क्या मजाल जो आप से हो जाए. आप बस मन मसोस कर रह जाते हैं. आखिर और कर भी क्या सकते हैं.

अभी कुछ दिन पहले मैने एक टीवी शो में प्रसिद्ध फिल्मकार महेश भट्ट को सीटी बजाते देखा तो मेरे दिल पे छुरियां चल गईं. हाय ! कितनी उम्र हो गई और अब तक सीटी नहीं बजा पाता और ये हैं कि इस उमर में भी सीटी बजा लेते हैं. आप ज़रा मेरी तक़लीफ की कल्पना करें. सिनेमा घर,सड़क के गीत-संगीत के कार्यक्रम और कालेज के कई मौकों पर सारे दोस्त एक से एक लाजवाब सीटीयां बजाते रहे और मैं (बेचारा) लुटा-पिटा सा,लाचार खड़ा झूठी मुस्कराहट दिखाकर उन्हें घूरता रहता.

अब आपसे क्या छुपाना. न जाने कितनी बार घर में कमरे की सांकल लगाकर,शीशे के सामने खड़े होकर, दोस्तों की नकल करते हुए मुंह में उंगली डालकर न जाने कितनी बार कोशिश की मगर सिवाय एक बदनसीब फू-फू की खोखली आवाज़ के कुछ न हुआ. कई बार जले पर नमक तब पड़ जाता जब बाहर निकलते ही मोहल्ले में या सड़क पर कोई छोटा सा बच्चा आसमान की उड़ान लेती सीटी बजा मारता. ‘पलट तेरा ध्यान किधर है, भाई’. इस एक कमज़ोरी की वजह से भरी जवानी में भी न जाने कहां-कहां रक़ीबों से मात खाई और आज तक उस उम्र के ज़ख्मों को सहलाता बैठा हू.

मेरी इस बात का इस उम्र के नौजवान (मतलब जो नए-नए जवान हुए है. या कहूं जो मेरे बाद जवान हुए हैं) कभी ठीक से अर्थ न जान पाएंगे. वजह साफ है. जब खलील मियां जवान हुए थे तब इस मुई सीटी की अहमियत ज़्यादा ही थी. अब जैसे उस दौर में बच्चे मां-बाप के काबू कुछ ज़्यादा ही रहते थे. मतलब कहीं आना-जाना आसान न था. और अगर आप गलती से दोस्त को कहीं ले जाने के लिए, खासकर फिल्म देखने के लिए, उसके घर पहुंच गए तो दोस्त के मां-बाप से डांट तो खाना ही है. बस ऐसे ही मौकों पर सीटी बजा सकने वाले दोस्त साफ बच जाते थे. पहले से सेटिंग रहती थी. ‘खिड़की के नीचे से एक सीटी मारूंगा. नीचे आ जाना’. लीजिए, हो गया काम. मां-बाप की मौजूदगी में बिना डांट खाए, आपका काम चल गया.

फिल्म देखने के दौरान भी न जाने कितने मौके आते थे जब किसी सीन पर चारों ओर से सीटियां बजती रहती थीं, और मैं चाहकर भी एक सीटी नही बजा पाता था. पाता था का क्या मतलब, अब भी नहीं बजा पाता. नहीं बजा पा रहा हूं इसीलिए अपना दुखड़ा लेकर आपके सामने बैठा हूं.

इस दुखड़े में एक दुख और भी सुना देता हूं. मेरे मोहल्ले में मेरा एक दोस्त कमाल का सीटीबाज़ था. वो तो सीटी में ही पूरे के पूरे गाने निकाल लेता था. नतीजा यह होता कि मैं जिनकी तवज्जो की चाह में जीता था उन सबकी प्रशंसा से भरी निगाहें मेरे उसी दोस्त पर टिकी रहतीं. मैने कई बार कोशिश की कि मेरा दोस्त मुझे भी यह हुनर सिखा दे. सोचता था कि इसमें सिर्फ मुंह ही तो गोल करना है. उंगली मुंह में डालने वाला काम तो इसमे है नहीं. मगर नतीजा वही. मेरे गोल मुंह वाली सीटी से गाना तो क्या निकलता बस दोस्त का मनोरंजन खूब होता रहता और मैं मुंह गोल किए-किए कुड़्कुड़ाता रहता.

मुझे सीटी बजानी भले न आती हो मगर एक बात बताऊं मुझमें एक अछी बात है. मैं हार कभी नहीं मानता. मैं तकरीबन एक हज़ार ऐसे काम कर चुका हूं जो मुझे नहीं आते थे. न तब आते थे और न अब आते हैं. मगर काम ऐसे ही करता हूं जो नहीं आते.

अब एक राज़ की बात बताऊं. अभी कुछ दिन पहले ही मैने इंटरनेट की मदद से सीटी बजाने के कुछ सबक डाऊनलोड किये हैं. कमरे में एक आदमकद शीशा लगा लिया है. प्रैक्टिस जारी है. अब तक फू-फू से फ्यू-फ्यू तक पहुंचा हूं. कोई ताजुब नहीं किसी दिन सचमुच सीटी बज जाए. जिस दिन बज गई, उसी दिन सिनेमा घर जाऊंगा. किसी दोस्त के घर जाकर खिड़की के नीचे अब तक न बजी सीटी बजाऊंगा. शायद न भी बजाऊं. इस नए दौर में दोस्त की सीटी सुनकर दौड़ आने वाले दोस्त बचे कहां हैं. कम से कम मेरे तो नहीं हैं.
(दैनिक भास्कर के रविवारीय ‘रसरंग’ में पूर्व प्रकाशित)

7 comments:

  1. दिल के इंजन की सीटी बज गई सर जी.

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  2. जमे रहिये ,प्रेक्टिस मेड परफेक्ट

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  3. हमने तो जी खूब सीटियां बजाई हैं । जिस जिस पर बजाई जा सकती थीं ।

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  4. मेरी ट्रैजेडी बयान कर डाली साहब आपने!

    उम्दा! बहुत शानदार.

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  5. आपको यहां भी देखकर और पढ़कर अच्छा लगा।

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  6. Keswani Sahab,
    I feel pity on you because it is so easy to blow whistle. You will wonder, I had and have a good practice in blowing whistle and that too in musical score. Even as on date I blow old film songs on my Whistle. It is more easy to blow outside and inside as well without breaking the link. You have to train your tongue also while whistling.

    R.P.Asthana

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