
एलेन गिंसबर्ग अपनी प्रसिद्ध कविता 'अमेरीका' (अमरीका) का जिस तरह पाठ करते थे, उसे सुनकर कविता की ताकत का अंदाजा होने लगता है। एक कवि किस तरह अपने देश, अपने समाज की अवांछित स्थितियों, प्रवृतियों के विरुद्ध अपनी कविता को एक असरदार हथियार की तरह इस्तेमाल कर सकता है, यह कविता उसी की एक मिसाल है।
पिछली बार कुछ मित्रों ने प्लेयर की शिकायत की थी। मेरा अनुरोध है की अगर मोज़िला पर यहाँ प्लेयर दिखाई न दे तो प्लीज़ एक्स्प्लोरर का इस्तेमाल कर देखें।
ek bar fir kamal.narayan narayan
ReplyDeleteवाह! बहुत खूब. इसी प्रकार नायाब चीज़ों से हमें मालामाल करते रहें.
ReplyDeleteअद्भुत आनन्द!!
ReplyDeleteमैंने तो मोजिला और IE दोनों पर देखा ,
ReplyDeleteपता नहीं क्यों दिख नहीं रहा ! अन्य पर देखता हूँ !
उत्कंठा बढ़ गयी है इसे सुनने की, और प्लेयर है कि धोखा दे रहा है !
आभार !
कविता का प्रभाव उसके पाठ पर भी बहुत कुछ निर्भर करता है । हमारे हिन्दी के बहुत से कवि कविता तो अच्छी लिखते है लेकिन उनका पाठ खराब है ।
ReplyDeleteडेढ़ महीना हो गया है पिछली पोस्ट चेंपे हुए. कहाँ बिजी हो गए अचानक?
ReplyDeleteहोली की बहुत-बहुत शुभकामनायें.
ReplyDeleteSir, where are you? Hope everything is fine at your end. Missing you here as well as on Sunday Bhaskar.
ReplyDeleteब्लॉग पर इतना सन्नाटा क्यों है केसवानी जी? अपनी अजीमतरीन कलम की रोशनाई से यहाँ महरूम कब तक किये रखेंगे?
ReplyDeleteआनन्ददायक....
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